राजी पडहा की संछिप्त-भूमिका और अगला कार्यक्रम

“६ से १७ अप्रैल १९६२ की तारीख उराव जाति-समाज के इतिहास में सोने की अक्छरो में लिखा जाना चाहिए, क्योकि राजी पडहा का कार्यक्रम धरातल में उतरने के पूर्व उराव जाति-समाज पर अन्य मानव समाज के द्वारा चारो तरफ से अतिक्रमण और शोषण का घेरा बंदी था | उराव जाति का मानव समाज में अस्तित्व और पहचान करीबन समाप्त हो चूका था | इसी ओझा की घडी में हमारे राजी-पडहा देवान माननीय श्री भीखराम भगत जी का संपर्क इत्तिफाक से टाना-भगतों से होता है । टाना-भगतों की सूझभूज और जोर-जुलुम से राजी देवान ने रांची जिला के कुडू थाना का ग्राम वन्दुवा में एक वृहद महासभा का आयोजन किया । इस महासभा में स्वर्गीय कार्तिक उराव जी ने भाग लेकर प्रतिनिधियों के दिलों में समाज की रक्षा के लिए नव जागरण का दीप जलाया |

      इसी महासभा में टाना भगतों का अगुवा स्वर्गीय रक्ति टाना भगत जी ने राजी पडहा बेल पद पर सर्वसमानति से चुनाव प्रतिनिधि में हिस्सा लिया | राजी देवान ने बड़ी लगन से राजी पडहा का प्रचार प्रसार प्रारंभ किया |

राजी पडहा नीचे लिखे गए कार्यो के लिए कटिबद्ध है :-


क)    राजी पडहा प्रत्येक इकाई को संविधान के तहत चलने-चलाने के लिए सख्त कदम बढ़ाई है जिसके लिए राजी पडहा सख्त अनुशासनिक कार्यवाही करेंगे|

ख)    राजी पडहा आदिवासी पडहा आश्रम का स्थापना के लिए भाग-दौड़ कर रही है|

ग)    आदिवासी पडहा सेवा परिषद का प्रधान कार्यालय का स्थापना के लिए त्वरित कदम बढ़ा चुकी है|

घ)    आदिवासी पडहा सांस्कृतिक कला केंद्र खोलने का निर्णय लिया गया है|

ङ)    महिलाओ में नवजागरण का दीप जलाने के लिए रानी सिनगी दई महिला संघ का स्थापना किया गया है|

च)    उराव आदिवासी समाज के समाज और राष्ट्र भक्तो का जन्म-दिवस मानाने हेतु राजी पडहा लोगो को आह्वान कर रही है | प्रत्येक वर्ष 17 फरवरी को मानाने के लिए राजी पडहा सभी इकाइयों को निर्देश दे रही है|

छ)    सरना-संघर्ष अखड़ा का कार्यक्रम को सख्ती से चालू करने का निर्णय लिया गया है|

ज)    राजी-पड़हा सामाजिक-धार्मिक स्थानों की रक्षा हेतु भी कारगर कदम बढ़ाएगी|

झ)    उराव-समाज पर कालान्तर से जो अतिक्रमण और शोषण हो रहा है, उसका रोक के लिए राजी पडहा एक ठोस कार्यक्रम बना चुकी है|

ञ)    कुड़ुख नवयुवक संघ नाम मे एक नवयुवकों का संगठन भी बनाने के लिए राजी पडहा तैनात है|



      इसी प्रकार राजी पडहा और भी सामाजिक और धार्मिक कार्यो के लिए सदा तत्पर है | अतः राजी पडहा आप सभी से आह्वान करती है कि आप सब जहां-कहीं हों, जिस भी परिस्थिति में हों, कम ही सही किन्तु सहयोग प्रदान करके राजी पडहा के कार्यकर्ताओं के अमृतभक्ति को तरोताजा बनाये रखने का अपना कर्त्तव्य पालन करे |

अनमोल वचन

ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है.

- महात्मा गाँधी

राजी पडहा की पंक्तिया !

हे भाइयों और बहनों !

क्या कुछ डालोगे छिद्र वाली पेट में,

कमाई का कुछ अंश डालते जाओ धरम के खाते में|

क्या लोगे भगवान के दरबार में,

नहीं तो खड़े रह जाओगे ओसारा में|

होश करो राजी पडहा कहने पर,

नहीं तो पछताओगे समय के चले जाने पर|

यही आह्वान है राजी पडहा का,

यही पुकार है चाला अयंग का|

जय धरम !

राजी-पडहा मंच !

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!! आदि-धरम प्रार्थना !!

अन्ना आदि मुंजराना मलेका,

निनिम धर्में-र-अँदय बंगायो ||2||

उर्मी निनिम एरा लगदाय,

उर्मी गे जोड़गर र-अँदय बंगायो,
कोड़ा-कोड़ा र-अँदय बंगायो ||2||

जनम-करम चिचेंकय धर्में,

पोसा-आ परदा-आ लगेदयँ बंगायो ||2||

आशिष चिअदय उर्मीनिम्,
दवा नअदय उर्मीगेम,

धरम डहरेन ऐँद आ बंगायो
पडहा डहरेन ऐँद आ बंगायो ||2||

तङग आ जिया लेक्खा धर्में,

ओरमार ही जियन बंगे,
ऐरना लूरन चे आ बंगायो ||2||

दोषी गा र-अदन पहे,

निनिम धर्में तारोय-ओए बंगायो ||2||

निनिम जानुम तरोय,

अन्ना आदि मुंजराना मलेका,
निनिम धर्में-र-अँदय बंगायो ||2||

जय धरम !